राजनीतिक दलों ने सोशल मीडिया पर एक पोस्टर वॉर शुरू कर दी है जिसमे राजनीतिक दल एक दूसरे पर बीजेपी के नजदीक होने का आरोप लगा रहे हैं।

तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव प्रचार अब चरम सीमा पर है। वर्तमान में पर देखा जाए तो कश्मीर घाटी में चार प्रमुख राजनीतिक दल इस समय अपनी ताकत आजमा रहे हैं। जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, जिसके अध्यक्ष डॉ फारूक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उअब्दुल्ला  पार्टी के लिए लगातार प्रचार कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर महबूबा मुफ़्ती और उसकी पार्टी पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी भी पूरी ताकत के साथ इस बार चुनाव प्रचार कर रही है।  चुनाव में एक नया राजनीतिक दल जिसको नाम जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी है, वो भी अपनी ताकत आजमा रहा है।


उत्तरी कश्मीर में पीपल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन भी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। सज्जाद गनी लोन की पार्टी पीपल्स कॉन्फ्रेन्स ने बारामूला लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा किया है और खुद सज्जाद गनी लोन इस बार इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

 

 

 

चुनाव प्रचार के दौरान एक सबसे रोचक बात ये सामने आई है कि सभी राजनीतिक दल एक दूसरे पर ये आरोप गढ़ रहे हैं कि वो केंद्र के साथ गुप्त गठजोड़ किए हुए हैं। एक तरफ महबूबा मुफ़्ती की पार्टी पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व पर ये आरोप लगाया है कि नेशनल कॉन्फ्रेन्स गुप चुप तरीके से बीजेपी के साथ मिली हुई है।

पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का ये आरोप है कि। भाजपा के कहने पर ही। नेशनल कॉन्फ्रेन्स में। गुपकार गठबंधन को तोड़ दिया। ताकि। सभी विपक्षी दल मिलकर भाजपा का मुकाबला ना कर पाए।

आखिर क्यों कश्मीर के सभी राजनीतिक दल एक दूसरे को भाजपा का एजेंट साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। इस समय कश्मीर में लोकसभा चुनावों को लेकर जो प्रचार चल रहा है उसमें धारा 370 एक मुख्य मुद्दा है। कश्मीर घाटी में सभी राजनीतिक दल एक दूसरे पर यह आरोप मढ़ रहे हैं कि उनके सहयोग से ही भाजपा ने धारा 370 को खत्म किया।
भाजपा विरोधी माहौल को देख कर। सबसे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ये आरोप लगाया कि पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई और जिसके बाद। भाजपा को कश्मीर घाटी में अपने पैर जमाने का मौका मिला। वहीं दूसरी ओर। पीडीपी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के पर आरोप लगाया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ता के लिए किसी भी पार्टी के साथ हाथ मिला सकती है।

लोकसभा चुनाव के प्रचार के बीच। कश्मीर घाटी के राजनीतिक दल सोशल मीडिया का भी खुलकर उपयोग कर रहे हैं तथा एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। प्रे

2 दिन पहले ही सोशल मीडिया पर एक “ऑडिटेड पोस्टर” डाला गया, जिसमें यह दिखाया गया की पूर्व मुख्यमंत्री उमर फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठे हैं। इन दोनों के साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस के अनंतनाग से लोकसभा सदस्य से हसनैन मसूदी भी प्रधानमंत्री के साथ बैठे हैं।

यूँ तो ये पोस्टर जो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था था ऑडिटेड लग रहा था किंतु सोशल मीडिया पर इसको डालने का मकसद यही था की कश्मीर के समाज के अंदर ये संदेश पहुँचाया जाए की नेशनल कॉन्फ्रेंस का अभी भी भाजपा के साथ गुपचुप समझौता है। अभी ये बैनर सोशल मीडिया पर ट्रेंड हो ही रहा था कि तभी एक और बैनर सोशल मीडिया पर डाल दिया गया, जिसमें। यह दिखाया गया कि महबूबा मुफ़्ती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक शॉल भेंट कर रही है।

कश्मीर के दो प्रमुख राजनीतिक दल। नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी जनता में यह एक संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके विरोधी भाजपा के साथ मिले हुए हैं।

इस बार जो कश्मीर में लोकसभा का चुनाव प्रचार हो रहा है, उसमें भाजपा केंद्र बिन्दु में है। सभी राजनीतिक दल एक दूसरे पर ये आरोप मढ़ रहे हैं कि वो केंद्र के साथ गुप्त समझौता किये हुए है।

अगर पिछले इतिहास को देखा जाए तो कश्मीर के लगभग सभी राजनीतिक दल चाहे वह नेशनल कॉन्फ्रेन्स हो,  या। पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी किसी ना किसी तरीके से भाजपा के साथ राजनीतिक रिश्ता बनाए रखे हों बनाए हुए थे।

2014 के विधानसभा चुनावों के बाद पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने भाजपा के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में सरकार बनाई। जिसमें पीपल्स कॉन्फ्रेन्स भी एक हिस्सा थी।

अगर पिछली बीजेपी सरकार पिछली अगर पिछली भाजपा सरकार की बात करें तो उसमें अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र सरकार में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उप प्रधान एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला मंत्री रहे हैं।

 

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