कहा जाता है कि है जर, जोरू और ज़मीन का सीधा संबंध व्यक्ति के निर्माण व विनाश से जुड़ा हुआ है और तीनों की ही किसी भी व्यक्ति के जीवन में अहम भूमिका होती है।
लेकिन जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की ज़िंदगी में ठीक उल्टा है। अपना नामांकन भरते समय उमर ने जो हलफ़नामा दाखिल किया है उसके अनुसार न तो उनके पास जर है और न ही जोरू ।यहां तक कि उमर के हलफ़नामे के अनुसार उनके पास जमीन भी नही है।
जम्मू कश्मीर के बारामुला लोक सभा क्षेत्र से अपना नामांकन पत्र भरते समय उमर अब्दुल्ला ने जो हलफ़नामा दायर किया है उसमें साफ किया गया है कि उनके पास ने जो ज्यादा पैसा है, न ही उनके पास कोई जमीन हैं।
अपने पारिवारिक जीवन के बारे में भी उमर न बताया है वे अपनी पत्नी से अलग रहते हैं और उनके तलाक का मामला सर्वोच्च न्यायालय में चल रहा है ।
बारामूला लोकसभा क्षेत्र के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार के तौर पर उमर अब्दुल्ला द्वारा दायर हलफनामे के क्रम संख्या दो में, ‘पति/पत्नी’ कॉलम में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है -कि वे अपनी पत्नी से अलग हो चुके हैं और तलाक का मामला भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है’।
उमर अब्दुल्ला ने अपने 18 पेज के चुनावी हलफ़नामे में ‘जीवनसाथी’ कॉलम में कोई जानकारी साझा नहीं की है।
यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2023 में उमर अब्दुल्ला की अपनी अलग पत्नी पायल अब्दुल्ला से तलाक की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी।

सूचनाओं के मुताबिक, जस्टिस संजीव सचदेवा और विकास महाजन के पैनल ने अब्दुल्ला को तलाक देने से इनकार करने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के 2016 के फैसले के खिलाफ उमर अब्दुल्ला की अपील को खारिज करते हुए कहा था कि मामले में कोई योग्यता नहीं है। अब्दुल्ला ने अपने प्रति क्रूरता का हवाला देते हुए अपनी अलग रह रही पत्नी पायल अब्दुल्ला से तलाक मांगा था। अदालत ने पारिवारिक अदालत के दृष्टिकोण में कोई दोष नहीं पाया और कहा कि क्रूरता के आरोप अस्पष्ट और अप्रमाणित थे।
फैसले में इस बात पर जोर दिया गया कि उमर अब्दुल्ला शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित किए जाने के किसी भी आरोप को अदालत में साबित करने में विफल रहे ।
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अपने नामांकन के साथ दाखिल हलफ़नामे के हिस्से के रूप में प्रस्तुत एक विस्तृत घोषणा में, उमर अब्दुल्ला ने खुलासा किया कि न तो उनके पास और न ही उनके आश्रितों के पास कोई आवासीय घर, कृषि भूमि या अचल संपत्ति है।
उमर अब्दुल्ला ने 2014 में जब श्रीनगर के सोनवार विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ा था, तो उनकी अचल संपत्ति में 16 प्रतिशत से अधिक की कमी का पता चलता है। यह संपत्ति 2014 में 65.59 लाख थी जो घटकर 54.45 लाख रह गई है – इस तरह से पिछले एक दशक में लगभग 11.45 लाख की कमी आई है।
उमर अब्दुल्ला की आय का मुख्य स्रोत पूर्व विधायक और पूर्व संसद सदस्य के रूप में मिलने वाली पेंशन है। पिछले कुछ वर्षों में उनकी आय में उतार-चढ़ाव आया है, 2019-20 में उनके खाते में 7,92,093 रुपये थे जबकि 2020-21 में उनके खाते में 11,73,030 रुपये दर्ज किए
गए ।वर्ष 2021-22 में उनके खाते में 13,20,460 रुपये और 2023 में उल्लेखनीय कमी के साथ कुल 13,20,460 रुपये जमा राशि खाते में है।
गौरतलब है कि उन पर बैंकों का कोई कर्ज या देनदारी नहीं है।