जम्मू-कश्मीर की नाज़िया बीबी ने रचा इतिहास, खो-खो वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम में चयनित

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जम्मू-कश्मीर के बन गांव की रहने वाली 21 वर्षीय नाज़िया बीबी ने इतिहास रचते हुए भारतीय महिला खो-खो टीम में जगह बनाई है। वह खो-खो वर्ल्ड कप में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली जम्मू-कश्मीर की पहली खिलाड़ी बन गई हैं। नाज़िया बकरवाल जनजाति से ताल्लुक रखती हैं और अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को देती हैं।

खो-खो वर्ल्ड कप में हिस्सा लेंगी नाज़िया बीबी

नाज़िया बीबी आगामी खो-खो वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की सदस्य के रूप में खेलेंगी। यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट 13 से 15 जनवरी 2025 के बीच नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित होगा। इसमें 24 से अधिक देशों की टीमें हिस्सा लेंगी।
नाज़िया ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं विश्व कप जैसे बड़े मंच पर देश का प्रतिनिधित्व करूंगी।”

परिवार का समर्थन बना प्रेरणा का स्रोत

अपनी सफलता की कहानी साझा करते हुए नाज़िया ने बताया कि उनके परिवार का समर्थन उनके लिए सबसे बड़ी प्रेरणा रहा। उन्होंने कहा, “मैंने अपने खेल को पूरी तरह समर्पित किया है। जब मैं कॉलेज की टीम में खेल रही थी, तब मेरे परिवार ने मुझे हर तरह से सहयोग दिया। आज मैं भारतीय टीम में हूं तो इसका श्रेय मेरे परिवार को जाता है।”

"मैंने अपने खेल को पूरी तरह समर्पित किया है। जब मैं कॉलेज की टीम में खेल रही थी, तब मेरे परिवार ने मुझे हर तरह से सहयोग दिया। आज मैं भारतीय टीम में हूं तो इसका श्रेय मेरे परिवार को जाता है।"

“मैंने अपने खेल को पूरी तरह समर्पित किया है। जब मैं कॉलेज की टीम में खेल रही थी, तब मेरे परिवार ने मुझे हर तरह से सहयोग दिया। आज मैं भारतीय टीम में हूं तो इसका श्रेय मेरे परिवार को जाता है।”

कॉलेज टीम से राष्ट्रीय शिविर तक का सफर

नाज़िया ने बताया कि उनकी यात्रा कॉलेज टीम से शुरू हुई, जहां से वह जम्मू में आयोजित एक कैंप के लिए चुनी गईं। इसके बाद उन्हें नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित राष्ट्रीय कैंप के लिए चुना गया, जहां उन्होंने अपनी जगह भारतीय टीम में बनाई।

 

बकरवाल जनजाति से संबंध

नाज़िया जम्मू के नागरोटा क्षेत्र के छोटे से बन गांव की निवासी हैं। बकरवाल जनजाति से ताल्लुक रखने वाली नाज़िया इस समय पद्मा श्री पद्मा सचदेव गवर्नमेंट वुमन कॉलेज, गांधी नगर, जम्मू में बीए के पांचवें सेमेस्टर की पढ़ाई कर रही हैं। उनके पिता सबर अली एक दुकानदार हैं और उनकी मां जुलेखा बीबी गृहिणी हैं।

नाज़िया ने कहा, “बचपन से ही मैंने अपने कज़िन को खेलते देखा और उनकी उपलब्धियों ने मुझे खेलों में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया।”

 

खो-खो के प्रति जुनून

नाज़िया का खो-खो के प्रति लगाव स्कूल के दिनों से शुरू हुआ। लेकिन बीते सात वर्षों में उन्होंने इसे पेशेवर स्तर पर खेलना शुरू किया। उनके कज़िन, जो भारतीय सेना में हैं, उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा रहे। नाज़िया ने कहा, “बचपन से ही मैंने अपने कज़िन को खेलते देखा और उनकी उपलब्धियों ने मुझे खेलों में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया।”

परिवार और समुदाय का गर्व

नाज़िया की इस उपलब्धि ने उनके परिवार और पूरे समुदाय को गर्वित कर दिया है। उनके माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी ने न केवल परिवार का बल्कि पूरे जम्मू-कश्मीर का नाम रोशन किया है। नाज़िया ने भावुक होकर कहा, “मेरा पूरा परिवार मुझ पर गर्व करता है और वे हमारी टीम की सफलता के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।”

युवाओं के लिए प्रेरणा

नाज़िया बीबी की सफलता ने जम्मू-कश्मीर के युवाओं को खेलों की ओर प्रेरित किया है। बकरवाल जनजाति की इस प्रतिभावान खिलाड़ी ने यह साबित किया है कि कठिन परिस्थितियों के बावजूद सफलता हासिल की जा सकती है।

विश्व कप की तैयारियों में जुटी भारतीय टीम

भारतीय खो-खो टीम अब आगामी विश्व कप की तैयारियों में व्यस्त है। नाज़िया ने कहा, “मैं अपनी टीम के साथ बेहतर प्रदर्शन करने और देश का नाम रोशन करने के लिए पूरी तरह तैयार हूं। यह मेरे लिए सपने के सच होने जैसा है।”

नाज़िया बीबी की यह प्रेरणादायक यात्रा केवल जम्मू-कश्मीर के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। यह दिखाती है कि सही मार्गदर्शन, कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।

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